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डायबिटीज की तरह ही सामान्य है स्लीप एपनिया
72वीं इंडियन डेंटल कॉन्फ्रेंस का समापन
इंदौर. हमने कई बार सुना है कि सोते हुए नींद में किसी को हार्ट अटैक आया और मृत्यु हो गई लेकिन कभी हमने इसकी जड़ तक पहुंचकर यह जानने की कोशिश नहीं की की नींद में हार्ट अटैक क्यों आया होगा एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्लीप एपनिया की वजह से नींद में हार्ट अटैक होने के केस ज्यादा होते हैं.
यूएसए की एक स्टडी में भी कहा गया है कि विश्व के 2.8% लोगों में स्लीप एपनिया की वजह से हार्ट प्रॉब्लम्स शुरू हो गई है स्लीप एपनिया डायबिटीज की तरह होने वाली तकलीफ है जिसे इन दिनों बहुत ज्यादा देखा जा रहा है स्लीप एपनिया किकेस कहीं बाहर डेंटिस्ट के सामने आते हैं लेकिन जागरूकता में अभाव की वजह से विशेषज्ञ इसे अनदेखा कर देते हैं.
अगर डेंटिस्ट शुरुआती दौर में इन केसेस को पहचान ले तो मरीज को काफी मदद मिल सकती है। यह बात 72वीं इंडियन डेंटल कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन दुबई से आए डॉ. अब्रायन जॉर्ज ने कही।
एंटी स्नोरिंग अप्लायंसेस की मदद से स्लीप एपनिया किया जा सकता है कंट्रोल
डॉ.जॉर्ज ने बताया कई मरीजों को बाय पेप और सीपेप लगाने की प्रैक्टिस करवाना मुश्किल होता है ऐसे केस में एंटी स्नोरिंग अप्लायंसेस फायदेमंद सिद्ध होते है, इन्हें आम भाषा मे सायलेंसर भी कहा जाता है। स्लीप एपनिया होने की मुख्य वजह मोटापा, गले का मोटा होना आदि देखा गया है।
स्लीप एपनिया की वजह से हार्ट प्रॉब्लम के साथ साथ बीपी ,डायबिटीज आदि तकलीफे होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।डॉ जॉर्ज ने डॉक्टर्स को स्लीप एपनिया के मरीजों को पहचानने के बारे में जानकारी दी उन्होंने बताया ऐसे मरीज जो नींद में सोते समय खर्राटे लेते हैं या दांत चलाते हैं इन्हें स्लीप स्टडी करनी चाहिए और स्लीप स्टडी के दौरान ही अप्लायंसेस लगाकर स्टडी मॉनिटरिंग करनी चाहिए।
लाइफटाइम अवॉर्ड से किया सम्मानित
कॉन्फ्रेंस में वूमेन डेंटल काउंसिल द्वारा विशेष कार्यक्रम रखा गया जिसमें पद्मश्री जनक पलटा विशेष अतिथि स्वरूप उपस्थिति थे आयोजन में प्रदेश की अध्यक्ष डॉ संध्या जैन को लाइफ टाइम अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस मौके पर कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयर पर्सन डॉ देशराज जैन कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉक्टर मनीष वर्मा भी उपस्थित थे। कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में डॉ राजीव श्रीवास्तव ,डॉ. पल्लव पाटनी, डॉ.विवेक चौकसे, डॉ सुमित जैन ,डॉ प्रकाश दीक्षित, डॉ.पी.वी.वंजारी ,डॉ अमित भरद्वाज, डॉ अनुज भारद्वाज और डॉक्टर गगन जयसवाल का विशेष सहयोग रहा।